तीन दिवसीय दौरे पर पटना पहुंचीं राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार मीरा कुमार ने कहा, दलित बनाम दलित का मुद्दा बनाना गंदी सोच है। एयरपोर्ट पर उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति पद के चुनाव में दो व्यक्तियों की नहीं, बल्कि दो विचारधाराओं की लड़ाई है। गौरतलब है कि बिहार में जदयू-राजद-कांग्रेस महागठबंधन की सरकार है।
जदयू ने पहले ही रामनाथ कोविंद को समर्थन देने की घोषणा कर दी थी। वहीं, राजद ने मीरा कुमार को समर्थन देने की घोषणा की है। बैठक में राजद के 61 एवं कांग्रेस के 20 विधायक शामिल हुए। बैठक में उप मुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव ने एकजुट होकर सभी से मीरा कुमार को वोट देने की अपील की। बैठक को कांग्रेस के बिहार प्रभारी सीपी जोशी, वरिष्ठ कांग्रेस नेता राजीव शुक्ला, वित्त मंत्री अब्दुलबारी सिद्दीकी ने भी संबोधित किया। बैठक का संचालन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष व शिक्षा मंत्री डॉ. अशोक चौधरी ने किया। बैठक में स्वास्थ्य मंत्री तेज प्रताप यादव भी मौजूद थे।
11 जुलाई को सोनिया गांधी ने बुलाई बैठक-
उप राष्ट्रपति पद के चुनाव को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने 11 जुलाई को सभी विपक्षी पार्टियों की बैठक बुलाई है। उप राष्ट्रपति पद के चुनाव में भी विपक्ष साझा उम्मीदवार उतारेगा। राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि बैठक में सभी विपक्षी दलों को बुलाया गया है। जदयू महासचिव केसी त्यागी ने कहा कि जदयू बैठक में शामिल होगा।
पटना की बेटी बोलीं, अंतरात्मा की आवाज सुनकर वोट करें-
राष्ट्रपति पद की कांग्रेस समेत 17 दलों की साझा उम्मीदवार मीरा कुमार ने विधायकों एवं सांसदों का आह्वान किया कि वे अंतरात्मा की आवाज सुनकर ही वोट दें। वह गुरुवार की शाम एक स्थानीय होटल में कांग्रेस व राजद विधायकों एवं सांसदों की बैठक को संबोधित कर रही थीं। उन्होंने कहा कि आंकड़ों का क्या वजूद है, वजूद तो आत्मा की आवाज का है। जब यह आवाज उठती है, तो आदमी खुद इधर से उधर हो जाता है।
उन्होंने कहा कि सोनिया गांधी के बाद राजद प्रमुख लालू प्रसाद ने सबसे पहले फोन पर बात की। मीरा कुमार ने कहा,’जब भी देश में सांप्रदायिकता की लहर उठती है, तो बिहार में उसे रोक दिया जाता है। अब तक 16 प्रांतों में जा चुकी हूं। निर्वाचक मंडल के सभी सदस्यों को पत्र लिखकर उनसे अनुरोध किया है। देश चौराहे पर खड़ा है। चारों ओर ऐसा वातावरण बना दिया गया है कि कोई गाय लेकर जाता है, तो उसका जीवन खतरे में पड़ जाता है। यह ऐतिहासिक क्षण है। दलित बनाम दलित का मुद्दा बनाना 21वीं सदी में कितनी गंदी सोच है। ऐसी सोच को जमीन में गाड़ देना चाहिए और आगे बढ़ जाना चाहिए।’
शक्ति की जरूरत होती है तो बिहार चली आती हूं-
मीरा कुमार ने कहा कि अपने को सौभाग्यशाली मानती हूं कि बिहार में मेरा जन्म हुआ। सभी धर्मो का सम्मान करते हुए कैसे रहना है, यह हमें जन्मघुट्टी में पिलायी जाती है। पूंजीपतियों के साथ खड़े रहने में तो आराम है, हम तो कांटों पर चलने वाले लोग हैं। मुझे शक्ति की जरूरत होती है, तो बिहार चली आती हूं। उन्होंने कहा कि मैंने गुजरात स्थित साबरमती आश्रम से अपना प्रचार अभियान शुरू किया है।