एक देश-एक कर के लक्ष्य वाला जीएसटी बीती रात संसद के केन्द्रीय कक्ष में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घंटा बजाये जाने के साथ लागू हो गया है। प्रधानमंत्री ने इस महत्वपूर्ण कर सुधार की तुलना आजादी से करते हुए कहा कि यह देश के आर्थिक एकीकरण में महत्वपूर्ण उपलब्धि है। संसद के केंद्रीय कक्ष में हुई विशेष बैठक को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इसे ऐतिहासिक क्षण करार दिया और कहा कि यह कराधान के क्षेत्र में एक नया युग है, जो कि केंद्र एवं राज्यों के बीच बनी व्यापक सहमति का परिणाम है।
राष्ट्रपति ने कहा कि जीएसटी विभिन्न राजनीतिक दायरे के लोगों द्वारा किया गया प्रयास है, जिन्होंने दलगत राजनीति को परे रखते हुए राष्ट्र को आगे रखा है। उन्होंने कहा कि यह भारत के लोकतंत्र की परिपक्वता और बुद्धिमत्ता का सम्मान है।
मोदी ने कहा, जीएसटी सामूहिक प्रयासों की देन-
इससे पहले समारोह को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि जीएसटी सभी राजनीति दलों के सामूहिक प्रयासों की देन है। उन्होंने कहा कि यह सभी राज्यों एवं केंद्र के वर्षों तक चले विचार विमर्श का परिणाम है। उन्होंने कहा कि जीएसटी सहकारी संघवाद का एक बेहतर उदाहरण है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जिस प्रकार सरदार वल्लभ भाई पटेल ने विभिन्न रियासतों को मिलाकर भारत का एकीकरण संभव कराया था, उसी प्रकार जीएसटी के कारण देश का आर्थिक एकीकरण होगा। उन्होंने कहा कि इसमें शुरुआत में थोड़ी दिक्कत आ सकती है, मगर इसके कारण सभी वर्गों के लोगों को लाभ मिलेगा।
मोदी ने देश के व्यापारी वर्ग से अपील की है कि जीएसटी लागू होने से उन्हें जो लाभ होता है, उसका फायदा वे गरीब तबके के लोगों तक पहुंचाएं। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जीएसटी लागू होने की लंबी यात्रा का उल्लेख करते हुए इसमें शामिल सभी लोगों का आभार व्यक्त किया है। उन्होंने उम्मीद जताई है कि जीएसटी लागू होने से दीर्घकाल में महंगाई पर लगाम लगेगी और कर वंचना कम होगी। संसद के ऐतिहासिक केंद्रीय कक्ष में आजादी सहित यह चौथा ऐसा मौका है, जब मध्य रात्रि के समय कोई कार्यक्रम हुआ। 14 अगस्त 1947 की मध्य रात्रि के साथ ही 1972 में स्वतंत्रता की रजत जयंती और 1997 में स्वर्ण जयंती के अवसर पर ऐसे कार्यक्रम हुए थे।
कांग्रेस सहित कुछ दलों ने किया बहिष्कार-
कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों ने भले ही आज के कार्यक्रम का बहिष्कार किया हो मगर आज केंद्रीय कक्ष में सपा, जदयू, जद-एस, राकांपा, टीआरएस, अन्नाद्रमुक, बीजद के सांसदों ने हिस्सा लिया। इसके साथ ही रतन टाटा सहित प्रमुख उद्योगपति एवं अन्य गणमान्य हस्तियां मौजूद थी। इस समारोह में मंच पर राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी, लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, प्रधानमंत्री मोदी, वित्त मंत्री जेटली एवं पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा मौजूद थे।
जीएसटी के लागू होने से केंद्र और राज्यों के स्तर पर लगने वाले एक दर्जन से अधिक कर समाप्त हो जाएंगे और उनके स्थान में केवल जीएसटी लगेगा।मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस इस कार्यक्रम से दूर रही। कांग्रेस ने जीएसटी की शुरुआत के मौके पर आयोजित इस कार्यक्रम को तमाशा करार दिया। कांग्रेस के इसी बहिष्कार के चलते पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी इस कार्यक्रम से दूर रहे। तृणमूल कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल, डीएमके और वामपंथी दलों ने कार्यक्रम का बहिष्कार किया।
17 साल पुराना इंतजार हुआ खत्म-
जीएसटी से देश की 2,000 अरब की अर्थव्यवस्था और 1.3 अरब लोग सभी एक साथ जुड़ जाएंगे और पूरा देश एक साझा बाजार बन जाएगा। इस समूची प्रक्रिया को पूरा होने में 17 सालों का लंबा समय लगा है। जीएसटी से वर्तमान बहुस्तरीय कर व्यवस्था समाप्त होगी और कर के ऊपर कर लगने से माल की लागत पर बढ़ने वाला बोझ भी समाप्त होगा।
व्यापारियों में आशंका, विरोध-प्रदर्शन-
जीएसटी को कारोबार सुगमता की दिशा में एक बड़ा कदम बताया जा रहा है। हालांकि, छोटे कारोबारी और व्यापारी इस नई कर प्रणाली को लेकर कुछ घबराहट में हैं। जीएसटी में कर भुगतान प्रणाली को लेकर उपजी आशंकाओं के चलते उत्तर प्रदेश में व्यापारियों ने एक रेलगाड़ी को रोक दिया। कई शहरों में इस दौरान थोक जींस बाजार बंद रहे। जीएसटी को लेकर कश्मीर में कल बंद का आह्वान किया गया है जबकि उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में आज छिटपुट बंद के समाचार थे। पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में विरोध प्रदर्शन हुए।