पाकिस्तान के योजना मंत्री एहसान इकबाल ने बताया पाकिस्तान सरकार गिलगित-बाल्टिस्तान इलाके में सिंधु नदी पर बनने वाले बांध पर चीन के फंड से अगले साल काम शुरू करने की योजना बना रही है।
सिंधु नदी पर पाकिस्तान वर्षों से बांधों का जाल बिछाना चाहता है। पाक अधिकृत कश्मीर में यह इलाका आता है और भारत इन बांधों को लेकर आपत्तियां जताता रहा है। पाकिस्तान को विवादित क्षेत्र होने के कारण इसके लिए कोई अंतरराष्ट्रीय एजेंसी फंड देने को तैयार नहीं थी। चीन की तरफ से अब पाकिस्तान मदद मिलने की उम्मीद कर रहा है लेकिन इससे भारत के साथ तनाव बढ़ने की भी आशंका है।
सूत्रों के हवाले से चीन की नई ‘वन बेल्ट वन रोड’ नीति के बाद से पाकिस्तान को यह उम्मीद जगी है। आधुनिक सिल्क रोड चीन इसके तहत बनाना चाहता है जो एशिया को यूरोप और अफ्रीका से जोड़ते हुए व्यापार के लिए नई राह खोलेगा।
12 अरब से 14 अरब डॉलर की लागत से बनने वाले सिंधु नदी पर दियामेर-भाशा बांध से 4500 मेगावॉट बिजली के उत्पादन का अनुमान है। इसके अलावा यह पाकिस्तान में खेतों की सिंचाई के लिए पानी की सुचारू आपूर्ति भी सुनिश्चित करेगा।
पाकिस्तान का नेतृत्व करने वाले एहसन इकबाल ने बताया कि इसके लिए चीन-पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) में बीजिंग की कंपनी को चुन लिया गया है। जो 10 सालों में अपने स्थानीय पार्टनर के साथ मिलकर डैम का निर्माण पूरा करेगी। एहसन इकबाल ने बताया कि अगले साल जुलाई से शुरू होने वाले नए वित्तीय वर्ष में इस बांध का निर्माण शुरू हो जाएगा।
आप को बता दें कि पाकिस्तान सरकार ने सिंधु पर दियामेर-भाशा बांध की योजना 2009-10 में बनाई गई थी। भारत की तत्कालीन यूपीए सरकार ने इस पर पाकिस्तान की तत्कालीन आसिफ अली जरदारी सरकार के समक्ष आपत्ति जताई थी। पाकिस्तान ने भारत की आपत्ति के बावजूद इस योजना को आगे बढ़ाना शुरू कर दिया। भारत ने ऐसी परियोजनाओं के लिए फंड देने वाली विश्व बैंक और एशियन बैंक जैसी संस्थाओं में अपनी आपत्ति दर्ज कराई। पाकिस्तान को 14 अरब डॉलर का कर्ज विश्व बैंक और एशियन डेवलपमेंट बैंक (एडीबी) ने बांध बनाने के लिए देने से इनकार कर दिया था।