वैज्ञानिकों ने आगाह किया है कि कम नींद से अल्जाइमर और मस्तिष्क संबंधी अन्य विकार का खतरा बढ़ जाता है।
इटली के मार्के पॉलिटेक्निक विश्वविद्यालय के अनुसंधानकर्ताओं ने चूहों के दो समूहों के मस्तिष्क का अध्ययन किया। एक समूह को उनकी इच्छा के मुताबिक जब तक चाहे सोने दिया गया या 8 घंटे तक जगाया गया। अन्य समूह को लगातार पांच दिन तक जगा कर रखा गया। टीम ने अपने अध्ययन में पाया कि अबाधित नींद लेने वाले चूहों के मस्तिष्क के साइनैप्स में एस्ट्रोसाइट करीब 6 फीसदी सक्रिय पाए गए हैं।
अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि कम सोने वाले चूहों में एस्ट्रोसाइट करीब 8 फीसदी सक्रिय पाया गया है। वहीं बिल्कुल नहीं सोने वाले चूहों में यह स्तर साढ़े 13 प्रतिशत रहा। एस्ट्रोसाइट मस्तिष्क में अनावश्यक अंतर्ग्रंथियों को अलग करने का काम करता है।
अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार कम अवधि में इस प्रक्रिया से लाभ मिल सकता है, मगर लंबी अवधि के संदर्भ में यह अल्जाइमर और अन्य मस्तिष्क विकार के खतरे को बढ़ा देता है। इस अध्ययन का प्रकाशन ‘न्यू साइंटिस्ट’ जर्नल में किया गया है।