राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी नोटबंदी के बाद देश के आर्थिक माहौल में अस्थायी मंदी की आहट महसूस कर रहे हैं। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने बुधवार को आगाह किया कि हर वर्ष रोजगार बाजार में प्रवेश करने वाले एक करोड़ लोगों के लिए पर्याप्त मात्रा में रोजगार सृजन नहीं हो रहे हैं जो देश के जनांकिकीय लाभांश का सही लाभ उठाने के रास्ते में बाधा की तरह है।
राष्ट्रपति भवन से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये राज्यपालों और उपराज्यपालों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि काला धन और भ्रष्टाचार मिटाने के लिए किए गए नोटबंदी के फैसले से अस्थायी मंदी भी आ सकती है।
उन्होंने कहा, ‘हम सभी को गरीबों की पीड़ा दूर करने के लिए अतिरिक्त सावधानी बरतने की जरूरत है जिन्हें इस लड़ाई में लंबे समय तक झेलना पड़ सकता है।’ हालांकि उन्होंने गरीबी उन्मूलन और गरीबों को उनका हक दिलाने के लिए की गई इस पहल की सराहना की लेकिन कहा कि गरीब इतने लंबे समय तक इंतजार नहीं कर सकते।
मुखर्जी ने कहा, “भारत के पास सबसे अधिक युवा शक्ति और कार्यबल है और उसके पास यह सुविधा थोड़े और अधिक समय के लिए रह सकती है। लेकिन यह लाभांश हमें सही लाभांश नहीं देगा यदि हम अपनी युवा शक्ति और कार्यबल को उत्पादक रोजगार में तब्दील नहीं कर पाए।”
उन्होंने कहा, ‘गरीबों को तत्काल राहत पहुंचाने की जरूरत है ताकि वे भी देश से भुखमरी, बेरोजगारी और शोषण खत्म करने के लिए चलाई गई इस राष्ट्रव्यापी मुहिम में सक्रिय भागीदारी कर सकें। प्रधानमंत्री द्वारा हाल ही में की गई पैकेज की घोषणा उन्हें थोडी़ राहत देगी।’ इस मौके पर उन्होंने इस साल सात राज्यों में होने वाले चुनाव तथा पांच राज्यों में घोषित चुनाव तारीखों का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, ‘निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव की प्रक्रिया ने दुनियाभर में हमारे लोकतंत्र को सबसे आकर्षक बनाया है। चुनाव राजनीतिक माहौल के प्रति लोगों की धारणाओं, मूल्यों और भरोसे को जाहिर करता है।’
ऑल इंडिया मैनेजमेंट एसोसिएशन के हीरक जयंती साल पर विशेष कार्यक्रम में प्रणब मुखर्जी ने कहा कि देश में उद्यमिता के लिए पूर्ण प्रशिक्षण देने वाली प्रबंधन शिक्षा की तत्काल जरूरत है। उन्होंने कहा, हर वर्ष एक करोड़ लोग रोजगार बाजार में आते हैं लेकिन उनके लिए पर्याप्त मात्रा में रोजगार सृजित नहीं हो रहे हैं। इसके समाधान के लिए हमें स्टार्टअप पर निर्भर करना पड़ेगा। हमें छोटे कारोबार शुरू करने चाहिए।