दो दिन तक चली 6 सदस्यीय मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी की बैठक खत्म होने के बाद रिजर्व बैंक ने 6.25 फीसदी पर रेपो रेट को बरकरार रखते हुए स्टैट्यूटरी लिक्वीडिटी रेशियो (एसएलआर) में 50 बेसिस प्वाइंट की कटौती का फैसला लिया है।
रिजर्व बैंक के मुताबिक ब्याज दरों में कटौती करने से पहले उसे मानसून का सही आंकलन और गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स को पूरे देश में लागू करने की चुनौतियों का भी आंकलन करना है। इसके अलावा रिजर्व बैंक ने इस फैसले के लिए वैश्विक स्तर पर तेजी से बदलते कारोबारी माहौल का भी हवाला दिया है।
रेपो रेट बरकरार रखने के फैसले से अब बैंकों के लिए ब्याज दरों में कटौती करने का रास्ता नहीं खुला। आज के फैसले के बाद अब वह पुरानी दरों पर ही कर्ज देने के लिए मजबूर हैं। नोटबंदी के बाद देश में बैंकों के सामने अतिरिक्त कैश की समस्या को देखते हुए रिजर्व बैंक ने उन्हें ब्याज दरों के जरिए किसी तरह की राहत देने से मना कर दिया है। लिहाजा, अब आपकी ईएमआई नहीं घटेगी।
रिजर्व बैंक दो महीने के अंतराल पर देश की मॉनिटरी पॉलिसी को दो दिनों तक चलने वाली बैठक में तय करता है। इस बैठक में रिजर्व बैंक से 3 सदस्य और वित्तीय मामलों के 3 जानकार शामिल होते हैं। समीक्षा की अध्यक्षता खुद रिजर्व बैंक गवर्नर करते हैं।