पर्यावरण

आज जहां हम रहकर खुलकर सांस ले रहे हैं, हम उस धरती मां के शुक्रगुजार हैं। मगर धरती मां के साथ ही साथ उस पर्यावरण के भी शुक्रगुजार है, जिसकी खुली हवाओं के बीच हम सांस ले रहें हैं। आज दुनिया में विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जा रहा है। इसकी शुरुआत 5 जून 1974 को हुई थी। विश्व पर्यावरण दिवस मनाने का सिर्फ एक ही उद्देश्य है, लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करना।

फॉरेस्ट रिसर्च ऑफ इंडिया स्टडी की रिपोर्ट के मुताबिक साल 1880 से 2013 के बीच भारत में जंगल का क्षेत्र 40 फीसदी कम हो गया है। ये बात किसी से नहीं छुपी है कि आप और हम न जाने कितनी ही बार पर्यावरण को चोट पहुंचा रहे हैं, पर्यावरण को दूषित कर रहे हैं। यदि आज भी हम नहीं जागे तो भविष्य में कुछ नहीं बचेगा और पर्यावरण के विनाश के सबसे बड़े जिम्मेदार हम ही होंगे। शायद इस बात का अंदाजा पूर्व केंद्रीय पर्यावरण मंत्री अनिल माधव को पहले ही हो गया था, इसलिए उन्होंने अपनी वसीयत में लिखा था कि मेरे मरने के बाद मेरी प्रतिमाएं न बनवाई जाएं। यदि आप मुझसे प्रेम करते हैं, तो मेरे नाम से एक पेड़ लगाएं।

बर्बादी की ओर धकेल रहे है हम पर्यावरण को
1.) साल 1972 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा मानव पर्यावरण विषय पर संयुक्त राष्ट्र महासभा का आयोजन किया गया था।

2.) इसमें हर साल 143 से अधिक देश हिस्सा लेते हैं।

3.) आपको जानकर हैरानी होगी कि 6 अरब किलोग्राम कू़ड़ा हर रोज समंदर में डाला जाता हैं।

4.) भारत हर साल प्रदूषण की वजह से 2 लाख करोड़ रुपये का नुकसान उठा रहा है।

5.) रिसर्च के अनुसार हर 8 सेकेंड में एक बच्चा गंदे पानी से मर जाता है।

6.) 10 लाख टन तेल की शिंपिग के दौरान 1 लाख टन समुद्र में गिर जाता है।

7.) वहीं मुंबई के हवा को सांस लेना 100 सिगरेट पीने के बराबर माना गया है।

8.) ये कहना गलत नहीं होगा कि पर्यावरण का हम खुद गला घोंट रहे है। हम ये बात अच्छे से जानते हैं कि पृथ्वी के लिए सबसे घातक पॉलीथीन है क्योंकि इसके इस्तेमाल से भूमि की उर्वरक क्षमता नष्ट हो रही है। वहीं इसे जलाने से निकलने वाला धुआं ओजोन परत को नुकसान पहुंचाता है, जो ग्लोबल वार्मिग का सबसे बड़ा कारण है।