क्या कभी आपने सोचा है कि प्राचीन काल में हमारे बड़े-बड़े ऋषि-महर्षि जमीन पर बैठकर ही भोजन क्यों किया करते थे? वे ना तो असभ्य थे और ना ही निचले तबके के, फिर क्यों भोजन करने के लिए वे भूमि को ही चुनते थे?
जब हम जमीन पर बैठ कर खाना खाते है तो या तो हम जमीन पर आलथी-पालथी मार कर बैठते हैं तो वह सुखासन अथवा अद्र्धपदमासन होता है। इस आसन में बैठने से मस्तिष्क शांत होता है तथा हमारा पाचन संस्थान सक्रिय होता है। माना जाता है कि इस मुद्रा में बैठने पर पेट दिमाग को भोजन पचाने के लिए आवश्यक पाचन रसों का स्त्राव करने का संकेत देता है जिससे भोजन शीघ्र ही पच जाएं।
कुछ तथ्य ह्म नीचे दे रहें है
प्राचीन परंपरा
लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि प्राचीन काल में बड़े-बड़े ऋषि-महर्षि जमीन पर बैठकर ही भोजन क्यों किया करते थे? वे ना तो असभ्य थे और ना ही निचले तबके के, फिर क्यों भोजन करने के लिए वे भूमि को ही चुनते थे?
फायदे
चलिए आज हम आपको जमीन पर बैठकर खाने का तात्पर्य और उसके फायदे बताते हैं, जिनसे अभी तक आप पूरी तरह अपरिचित हैं।
1. स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद
जमीन पर बैठकर खाना खाने का अर्थ सिर्फ भोजन करने से नहीं है, यह एक प्रकार का योगासन कहा जाता है। जब भारतीय परंपरानुसार हम जमीन पर बैठकर भोजन करते हैं तो उस तरीके को सुखासन या पद्मासन की तरह देखा जाता है। यह आसन हमारे स्वास्थ्य की दृष्टि से बहुत लाभप्रद है।
2. रक्तचाप में कमी
इस तरीके से बैठने से आपकी रीढ़ की हड्डी के निचले भाग पर जोर पड़ता है, जिससे आपके शरीर को आरामदायक अनुभव होता है। इससे आपकी सांस थोड़ी धीमी पड़ती है, मांसपेशियों का खिंचाव कम होता है और रक्तचाप में भी कमी आती है।
3. पाचन क्रिया
इस आसन में बैठने से पाचन क्रिया भी दुरुस्त रहती है, जिससे खाना जल्दी पचता है। अब आप देख लीजिए जमीन पर बैठकर खाना खाने से ना सिर्फ आप भोजन का लुत्फ उठा रहे होते हैं बल्कि साथ ही साथ योग भी कर रहे होते हैं।
4. पाचन क्रिया में सुधार
जमीन पर बैठकर खाने से आपको भोजन करने के लिए प्लेट की तरफ झुकना होता है, यह एक नैचुरल पोज है। लगातार आगे होकर झुकने और फिर पीछे होने की प्रक्रिया से आपके पेट की मांसपेशियां निरंतर कार्यरत रहती हैं, जिसकी वजह से आपकी पाचन क्रिया में सुधार होता है।
5. शरीर के मुख्य भागों की मजबूती
भोजन करने के लिए जब आप पद्मासन में बैठते हैं तब आपके पेट, पीठ के निचले हिस्से और कूल्हे की मांसपेशियों में लगातार खिंचाव रहता है जिसकी वजह से दर्द और असहजता से छुटकारा मिलता है। इस मांसपेशियों में अगर ये खिंचाव लगातार बना रहेगा तो इससे स्वास्थ्य में सुधार देखा जा सकता है।
6. वजन को नियंत्रित रखना
जमीन पर बैठना और उठना, एक अच्छा व्यायाम माना जाता है। भोजन करने के लिए तो आपको जमीन पर बैठना ही होता है और फिर उठना भी, अर्ध पद्मासन का ये आसन आपको धीरे-धीरे खाने और भोजन को अच्छी तरह पचाने में सहायता देता है।
7. परिवार की निकटता
एक साथ बैठकर खाने से फैमिली बॉंडिंग स्ट्रॉंग होती है, ये बात तो आप जानते ही हैं। साथ ही पद्मासन में बैठकर खाने से आप मानसिक तनाव से दूर होते हैं, जिससे आप अपने परिवार के साथ एक अच्छा टाइम बिता सकते हैं।
8. घुटनों का व्यायाम
जमीन पर बैठकर भोजन करने से आपका पूरा शरीर स्वस्थ रहता है, पाचन क्रिया दुरुस्त रहती है। इसके साथ ही साथ जमीन पर बैठने के लिए आपको अपने घुटने मोड़ने पड़ते हैं। इससे आपके घुटनों का भी बेहतर व्यायाम हो जाता है, उनकी लचक बरकरार रहती है जिसकी वजह से आप जोड़ों की समस्या से बचते हैं।
9. पोस्चर में सुधार
क्रॉस लेग्स की सहायता से जमीन पर बैठने से आपके शारीरिक आसन यानि कि पोस्चर में सुधार होता है। स्वस्थ शरीर के लिए सही आसन बहुत जरूरी है, इससे आपकी मांसपेशियों को मजबूती मिलती है लेकिन साथ ही साथ रक्त संचार में भी सुधार होता है।
10. दिल की मजबूती
सही पोस्चर में बैठने से आपके शरीर में रक्त का संचार बेहतर होता है और साथ ही साथ आपको नाड़ियों में दबाव भी कम महसूस होता है। पाचन क्रिया में रक्त संचार का एक अहम रोल है। पाचन क्रिया को सुचारू रूप से चलाने में हृदय की भूमिका अहम होती है। जब भोजन जल्दी पच जाएगा तो हृदय को भी कम मेहनत करनी पड़ेगी।
11. दीर्घायु
जब आपका हृदय, शरीर और मांसपेशियां स्वस्थ रहेंगी, आपके शरीर में रक्त का संचार बखूबी होगा तो जाहिर है यह आपकी दीर्घायु की गारंटी बन सकता है।
12. शर्म कैसी
तो फिर अगली बार से जमीन पर बैठकर खाना खाने में शर्म महसूस मत कीजिए। अरे भई! ये शर्म का नहीं हेल्थ का विषय है। वैसे भी हमारे पूर्वजों ने जिस परंपरा को बनाया है, वह गलत तो नहीं हो सकती इसलिए आवश्यकता है कि उनकी वैज्ञानिकता को समझकर व्यवहार करें।
आधुनिक समय में हमारी दिनचर्या, खान-पान और कार्य करने के तरीकों में कई बड़े-बड़े परिवर्तन हो गए हैं। आज अधिकांश लोग डायनिंग टेबल पर बैठकर खाना खाते हैं। जबकि पुराने समय में जमीन पर आसन लगाकर बैठते थे और इसके बाद भोजन करते थे। प्राचीन काल से ही जमीन पर बैठकर खाना खाने की परंपरा चली आ रही है।
जमीन पर बैठकर खाना खाने से कौन-कौन लाभ प्राप्त होते हैं…
जमीन पर बैठकर क्यों खाना खाएं…
डायनिंग टेबल पर बैठकर खाने से कई स्वास्थ्य संबंधी कई प्रकार की परेशानियां स्वत: ही हमें घेर लेती हैं। जो लोग जमीन पर बैठकर पारंपरिक तरीके से खाने खाते हैं, वे छोटी-छोटी कई बीमारियों से बचे रहते हैं।
जमीन पर बैठकर खाना खाते समय हम एक विशेष योगासन की अवस्था में बैठते हैं, जिसे सुखासन कहा जाता है। योग शास्त्र के अनुसार सुखासन और पद्मासन से हमें एक समान स्वास्थ्य संबंधी लाभ प्राप्त होते हैं।
पाचन तंत्र रहता है व्यवस्थित
आमतौर पर डायनिंग टेबल पर या खड़े होकर खाना खाने में कई प्रकार की परेशानियां होती हैं जबकि बैठकर खाना खाने से हम ज्यादा अच्छी तरह से भोजन कर सकते हैं। शरीर पर किसी प्रकार का अतिरिक्त भार नहीं पड़ता है। पाचन तंत्र व्यवस्थित रहता है और भोजन पचाने में उसे किसी प्रकार की परेशानी नहीं होती है।
सुखासन के लाभ
• सुखासन से मन की एकाग्रता बढ़ती है। इस तरह खाना खाने से मोटापा, अपच, कब्ज, एसीडीटी आदि पेट संबंधी बीमारियों में भी राहत मिलती है।
• सुखासन से पूरे शरीर में रक्त-संचार समान रूप से होता है। जिससे शरीर को अधिक ऊर्जा प्राप्त होती है। इस ऊर्जा के प्रभाव से हम किसी भी कार्य को अधिक अच्छे ढंग से कर सकते हैं।
• सुखासन से पौरुष शक्ति में बढ़ोतरी होती है।
• सुखासन से छाती और पैरों को मिलती है मजबूती
• सुखासन से मानसिक तनाव समाप्त होता है और मन में सकारात्मक विचारों का प्रभाव बढ़ता है।
• इस आसन से हमारी छाती और पैरों को मजबूती प्राप्त होती है।
• यदि हम नियमित रूप से योगा नहीं कर सकते हैं तो कम से कम बैठकर खाना खाने से योग के कई लाभ प्राप्त कर सकते हैं।