क्या है वट सावित्री का पर्व और क्यों है ये इतना महत्वपूर्ण है। हिन्दू परंपरा में स्त्रियां अपने पति की दीर्घायु और सुखद वैवाहिक जीवन के लिए तमाम व्रत का पालन करती हैं। वट सावित्री व्रत भी सौभाग्य प्राप्ति के लिए एक बड़ा व्रत माना जाता है।
यह ज्येष्ठ कृष्ण अमावस्या को मनाया जाता है। इस बार यह व्रत 25 मई को किया जाएगा। इसके साथ सत्यवान- सावित्री की कथा जुड़ी हुई है। जिसमें सावित्री ने अपने संकल्प और श्रद्धा से, यमराज से, सत्यवान के प्राण वापस ले लिए थे। महिलाएं भी संकल्प के साथ अपने पति की आयु और प्राण रक्षा के लिए इस दिन व्रत और संकल्प लेती हैं।
इस व्रत को करने से सुखद और सम्पन्न दाम्पत्य का वरदान मिलता है। वटसावित्री का व्रत सम्पूर्ण परिवार को एक सूत्र में बांधे भी रखता है।
वटवृक्ष (बरगद) की पूजा क्यों की जाती है-
– वट वृक्ष (बरगद) एक देव वृक्ष माना जाता है।
– ब्रह्मा,विष्णु,महेश और सावित्री भी वट वृक्ष में ही रहते हैं।
– प्रलय के अंत में श्री कृष्ण इसी वृक्ष के पत्ते पर प्रकट हुये थे।
– तुलसीदास ने वटवृक्ष को तीर्थराज का क्षत्र कहा है।
– यह वृक्ष न केवल अत्यंत पवित्र है , बल्कि काफी ज्यादा दीर्घायु भी है।
– लम्बी आयु , शक्ति और धार्मिक महत्व को ध्यान रखकर इस वृक्ष की पूजा की जाती है।
– पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए भी इस वृक्ष को इतना ज्यादा महत्व दिया गया है।
क्या है वट सावित्री व्रत का पूजा विधान-
– प्रातःकाल स्नान करके , निर्जल रहकर इस पूजा का संकल्प लें।
– वट वृक्ष के नीचे सावित्री-सत्यवान और यमराज की मूर्ति स्थापित करें।
– मानसिक रूप से इनकी पूजा करें।
– वट वृक्ष की जड़ में जल डालें, फूल-धूप-और मिष्ठान्न से वट वृक्ष की पूजा करें।
– कच्चा सूत लेकर वट वृक्ष की परिक्रमा करते जाएँ और सूत तने में लपेटते जाएँ।
– कम से कम 7 बार परिक्रमा करें।
– हाथ में भीगा चना लेकर सावित्री-सत्यवान की कथा सुनें।
– फिर भीगा चना, कुछ धन और वस्त्र अपनी सास को देकर उनका आशीर्वाद लें।
– वट वृक्ष की कोंपल खाकर उपवास समाप्त करें।
आज के दिन अन्य विशेष कार्य क्या करें-
– एक बरगद का पौधा जरूर लगवाएं, आपको पारिवारिक और आर्थिक समस्या नहीं होगी।
– निर्धन सौभाग्यवती महिला को सुहाग की सामग्री का दान करें।
– बरगद की जड़ को पीले कपडे में लपेट कर अपने पास रखें।