इसरो

भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो शुक्रवार शाम 4:57 बजे दक्षिण एशिया संचार उपग्रह जीसैट-9 को लांच करेगा। इसको श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लांच किया जाएगा। इस सैटेलाइट यानी उपग्रह के प्रक्षेपण से दक्षिण एशियाई देशों के बीच संपर्क को बढ़ावा मिलेगा। इसके साथ ही दक्षिण एशिया क्षेत्र में चीन के प्रभाव को कम किया जा सकेगा।

इस भूस्थिर संचार उपग्रह का निर्माण भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने किया है। इसका प्रक्षेपण यहां से किया जाएगा। जीसैट-9 को भारत की ओर से उसके दक्षिण एशियाई पड़ोसी देशों के लिए उपहार माना जा रहा है। इस उपग्रह को इसरो का रॉकेट जीएसएलवी एफ-09 से लांच किया जाएगा। इसरो के अध्यक्ष किरण कुमार ने बताया कि शुक्रवार शाम 4 बजकर 57 मिनट पर प्रक्षेपण होगा।

आठ सार्क देशों में से सात तो भारत, श्रीलंका, भूटान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल और मालदीव इस प्रोजेक्ट का हिस्सा हैं। पाकिस्तान ने यह कहते हुए इससे बाहर रहने का फैसला किया कि उसका अपना अंतरिक्ष कार्यक्रम है। इस उपग्रह की लागत करीब 235 करोड़ रुपये है और इसका उद्देश्य दक्षिण एशिया क्षेत्र के देशों को संचार और आपदा सहयोग मुहैया कराना है।

12 साल है जीसैट-9 की लाइफटाइम
जीसैट को चेन्नई से करीब 135 किलोमीटर दूर श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के दूसरे लांचिंग पैड से लांच किया जाएगा। इसरो ने बताया कि जीसैट-9 मिशन के ऑपरेशन का 28 घंटे का काउंटडाउन बृहस्पतिवार दोपहर 12:57 बजे शुरू हुआ है। इसका मिशन लाइफटाइम 12 साल का है।

पीएम मोदी की स्पेस डिप्लोमेसी
मई 2014 में सत्ता में आने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसरो के वैज्ञानिकों से सार्क सैटेलाइट बनाने के लिए कहा था, जो पड़ोसी देशों को भारत की ओर से उपहार होगा। इसके साथ ही चीन के प्रभाव को क्षेत्र में कम किया जा सकेगा। बीते रविवार को मन की बात कार्यक्रम में मोदी ने घोषणा की थी कि दक्षिण एशिया उपग्रह अपने पड़ोसी देशों को भारत की ओर से कीमती उपहार होगा। मोदी ने कहा था, ‘पांच मई को भारत दक्षिण एशिया उपग्रह का प्रक्षेपण करेगा। इस परियोजना में भाग लेने वाले देशों की विकासात्मक जरुरतों को पूरा करने में इस उपग्रह के फायदे लंबा रास्ता तय करेंगे।