ईश्वर कभी किसी मामले में खुद कुछ नहीं करता है बल्कि जो कुछ मनुष्य जीवन में घटनाएँ होती है वह सब मनुष्य के कर्मों से होती हैं।हालाँकि जीवन में बिना ईश्वर की मर्जी के बगैर एक पत्ता भी नहीं हिलता है।आदमी की जान लेने कभी खुद ईश्वर नहीं आता है बल्कि जान लेने के बहाने बना देता है। बहुत ही कम लोग ऐसे होते हैं जो अपने आप बिना किसी बहाने के मरते है।
कहा भी गया है कि-” हिल्ला रोजी बहाने मौत”।बिना किसी हिल्ला के रोजी नहीं चलती है और ईश्वर जब किसी को देने के लिये किसी न किसी को हिल्ला बनाकर दूकान या रोजी पर भेज देता है। कहने का मतलब ईश्वर कभी किसी को सीधे कुछ नहीं देता है बल्कि बहाने से देता है।मनुष्य को कभी ईश्वर मारने स्वयं सीधे नहीं आता है बल्कि मरने के बहाने बना देता है।कोई किसी रोग से मर जाता है तो कभी डूबकर कभी जलकर कभी गिरकर तो कभी दुर्घटना के बहाने मर जाता है। ईश्वर कभी गुनहगार नहीं बनता है और खुद बेगुनाह बने रहने के लिये कोई न कोई बहाना बना देता है।
कहते हैं कि मनुष्य जीवन में बिना ईश्वर की मर्जी के कुछ नहीं होता है और जो कुछ भी होता है व उसकी मर्जी से होता है।इस धरती पर जो जीव पैदा होता है उसे बीमारियों घटनाओं दुर्घटनाओं आदि के बहाने जरूर मरना पड़ता है।कहा भी गया है कि-” आया है सो जायेगा चाहे राजा हो चाहे रंक फकीर”।भगवान राम भी बहाने से यहाँ से वापस गये और भगवान श्रीकृष्ण भी बहेलिये की तीर के बहाने चले गये।प्रभु ईसा मसीह को सुली के बहाने तो राजा दशरथ को पुत्र शोक के बहाने जाना पड़ा।
ईश्वर जो कुछ करता वह खुद नहीं और अधिकांशतया वह मनुष्य से सारे कार्य करवाकर खुद उसका श्रेय न लेकर मनुष्य को श्रेय दे देता है।कहा भी गया है कि-” प्रभु आपकी दया से सब मेरा काम हो रहा है करते हो तुम कन्हैया नाम मेरा हो रहा है”।मनुष्य जीवन में जो भी भला बुरा जो कुछ होता है उसके लिये मनुष्य के कर्म दोषी होते हैं।