करोड़ों रुपये की जालसाजी करने के आरोपी संजय राय शेरपुरिया के चार शहरों में स्थित ठिकानों पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की टीमों ने सोमवार रात छापे मारकर अहम सुबूत जुटाए हैं। संजय राय के दिल्ली स्थित दफ्तर और अावास के अलावा गाजीपुर स्थित पैतृक आवास, बनारस के घर और लखनऊ के गोमतीनगर इलाके में किराए पर लिए गये एक घर को भी खंगाला गया है। बेहद गोपनीय तरीके से मारे गए इन छापों के बारे में ईडी के अधिकारी कुछ भी बताने से बच रहे हैं।
सूत्रों की मानें तो इन छापों में शेरपुरिया के एनजीओ और कंपनियों से जुडे तमाम संदिग्ध दस्तावेज बरामद हुए है। उसके एनजीओ यूथ रूरल एंटरप्रेन्योर फाउंडेशन, पांच कंपनियों कांडला एनर्जी एंड केमिकल लिमिटेड, कच्छ इंटरप्राइजेस, काशी फार्म फ्रेश प्राइवेट लिमिटेड, कांडला इंटरप्राइजेस प्राइवेट लिमिटेड और राय कारपोरेशन प्राइवेट लिमिटेड से जुड़े हजारों की संख्या में दस्तावेज मिले हैं। साथ ही, बड़े पैमाने पर बैंक की पासबुक, चेकबुक, लॉकर्स की जानकारी, एटीएम कार्ड और पासपोर्ट भी मिला है।
इन ठिकानों से ईडी को तमाम संपत्तियों के दस्तावेज भी मिले हैं, जो गुजरात, दिल्ली, गाजीपुर, बनारस, लखनऊ समेत देश के एक दर्जन से ज्यादा शहरों में हैं। इनमें से कई संपत्तियों के बेनामी होने की आशंका भी जताई जा रही है। सूत्रों के मुताबिक इन ठिकानों से तमाम राजनेताओं के साथ शेरपुरिया की फोटो के साथ कुछ डायरियां भी बरामद की गयी हैं, जिनमें कोड वर्ड में लेन-देन का ब्योरा दर्ज है। अधिकारियों को शक है कि ये लेन-देन करोड़ों रुपये का हो सकता है। अधिकारियों ने इन ठिकानों से कई इलेक्ट्रानिक डिवाइस जैसे लैपटॉप, कंप्यूटर की हार्ड डिस्क, पेन ड्राइव, टैब और मोबाइल भी बरामद किए है।
राइडिंग क्लब को कराया गया खाली
ईडी के सूत्रों की मानें तो दिल्ली में पीएम आवास के पास स्थित राइडिंग क्लब पर कब्जा करके शेरपुरिया ने अपना आलीशन ऑफिस बनाया था, उसे पूरी तरह खाली करा लेने की सूचना मिली है। यहां मौजूद सारा सामान और इलेक्ट्रानिक डिवाइस को भी जब्त कर लिया गया है। वहीं बनारस में शेरपुरिया के आवास पर पहुंची ईडी की टीम को पहले ही उसे बेचे जाने की जानकारी मिली, जिसके बाद टीम वापस लौट गई।
शेरपुरिया की पत्नी की भी तलाश
वहीं दूसरी ओर ईडी और यूपी एसटीएफ शेरपुरिया की पत्नी को भी तलाश रही है। शेरपुरिया की कुछ कंपनियों में उसकी पत्नी भी अहम पदों पर रही है जिसकी वजह से उसे गिरफ्तार कर पूछताछ करना जरूरी है। वहीं दूसरी ओर शेरपुरिया ने कई शेल कंपनियां भी खोली थी, जिनके जरिए करोड़ों रुपये का लेन-देन होने के प्रमाण एजेंसियों के हाथ लगे हैं। इसमें भी उसकी पत्नी की भूमिका का पता लगाया जा रहा है।
नंदगंज में लीज पर ली भूमि
छापों में संजय राय शेरपुरिया के गाजीपुर के नंदगंज इलाके में लीज पर कई एकड़ भूमि लेने का भी पता चला है। इससे जुड़े दस्तावेज ईडी के हाथ लग चुके हैं जिनकी गहनता से पड़ताल की जा रही है। इसके अलावा दिल्ली में कई बेशकीमती संपत्तियों की खरीद-फरोख्त की जानकारी भी मिली है।
यूपीडा के अधिकारी के साथ साठगांठ
सूत्रों की मानें तो लखनऊ में यूपीडा में तैनात एक अधिकारी संजय राय शेरपुरिया का काफी करीबी है। लखनऊ आने पर ये अधिकारी ही उसे तमाम नेताओं, आईएएस, आईपीएस आदि से मिलवाने का इंतजाम करता था। इस अधिकारी के बारे में ईडी को पुख्ता जानकारी मिली है, जिसके बाद उस पर शिकंजा कसने की तैयारी की जा रही है।
महाठग संजय शेरपुरिया की छह दिन की रिमांड मंजूर
देश के नामी नेताओं और व्यापारियों का करीबी बन करोड़ों की ठगी व फर्जी कंपनियों के संचालक संजय प्रकाश राय उर्फ संजय शेरपुरिया छह दिन की पुलिस कस्टडी रिमांड पर रहेगा। इसकी मंजूरी स्पेशल सीजेएम कस्टम फरहा जमील ने मंगलवार को दी। महाठग की रिमांड बुधवार सुबह 10 बजे से 9 मई की शाम 4 बजे तक के लिए मंजूर की गई है। इस दौरान विभूतिखंड पुलिस व एसटीएफ आरोपी को हिरासत में लेकर पूछताछ करेगी।
स्पेशल सीजेएम कस्टम कोर्ट में विभूति खंड थाना प्रभारी रामसिंह की तरफ से अभियोजन अधिकारी विजय यादव व सहायक अभियोजन अधिकारी अतीक अहमद खान ने रिमांड दिये जाने की अर्जी दी थी। जिसमें कहा कि कोर्ट के आदेश पर आरोपी संजय राय शेरपुरिया का जेल में बयान लिया गया है। उसने अपने संपर्कों का लाभ उठाकर कई मंत्रियों व नेताओं के साथ फोटो खिंचवाकर सोशल मीडिया पर वायरल ट्विटर व फेसबुक पर अपलोड किया। जिससे लोग प्रभावित हो गये। इसी के माध्यम से लोगों को संजय ने अपने प्रभाव व जाल में फंसाकर रुपये लेता था।
आरोपी ने अपने बयान में बताया कि जब उसके ऊपर पैसा वापस करने का दबाव होता था, तो वह उन्हें मंत्री नेताओं के साथ अपने संपर्कों की धौंस दिखाकर उनका मुंह बंद कर देता था। उसके खिलाफ कोई शिकायत करने की हिम्मत नहीं कर पाता था। कोर्ट में बताया गया कि आरोपी ने अपने बयान में कंपनी के संबंध में बताया कि वह यूथ रूरल इंटर प्रेन्योर फाउंडेशन के नाम से कंपनी चलाता है तथा अधिकारिक तौर पर वह इस कंपनी में किसी पद पर नहीं है। उसने अपने बयानों में यह भी बताया कि कंपनी में वह अपने विश्वासपात्र परिजन को डायरेक्टर बनाता है।
कंपनी के अकाउंट का संपूर्ण कार्य उसका भतीजा प्रदीप कुमार देखता है जोकि डायरेक्टर है। कंपनी का संचालन एवं लाभ हानि उसके द्वारा देखा जाता है तथा कंपनी की संपूर्ण जिम्मेदारी उसकी है। उसने यह भी बताया कि इसके अलावा उसकी द्वारा पांच और कंपनियां चलाई जाती हैं। अभियोजन की ओर से बताया गया कि आरोपी को कस्टडी रिमांड पर लेकर उस की जमीन से संबंधित प्रपत्र, कोड डिकोड से संबंधित डायरी, डमी कंपनियों से संबंधित प्रपत्र के जानकारी करने के अलावा उसके द्वारा ग़ाज़ीपुर , गुड़गांव, हरियाणा, दिल्ली अहमदाबाद एवं गुजरात में फ़र्ज़ीवाडे से संबंधित कागजात छुपाए जाने की बात प्रकाश में आई है। आरोपी ने सभी चीजें बरामद कराने को कहा है जो इस मुकदमे के आवश्यक साक्ष्य होंगे।