देहरादून: उत्तराखंड में उधमसिंह नगर के अपर जिला जज ने सात जनवरी 2018 को सितारगंज में हुए चर्चित दोहरे हत्याकांड के मामले में द्वितीय अपर जिला सत्र न्यायाधीश शादाब बानो की अदालत ने सात हत्यारोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई जबकि जानलेवा हमले के मामले में सात साल की सजा सुनाई। इसके साथ ही अर्थदंड भी लगाया। अभियोजन पक्ष ने अदालत में 16 गवाह पेश किए। तीन लोगों को पहले ही उम्रकैद की सजा दी जा चुकी थी लेकिन अब तीनों के पास दो आजीवन कारावास हैं।
अभियोजन पक्ष में किया गया कई बातों का जिक्र
अभियोजन पक्ष में बताया गया कि ग्राम जनता फार्म गौरी खेड़ा सितारगंज निवासी अंग्रेज सिंह ने पुलिस में दर्ज कराई रिपोर्ट में कहा गया था कि सात जनवरी 2018 को सितारगंज में नगर कीर्तन का आयोजन हो रहा था। जिसमें वह अपने चचेरे भाई दलजीत सिंह, रजविंदर सिंह के ससुर हरबंश सिंह समेत अन्य रिश्तेदारों के साथ शामिल हुए थे। इसी बीच लाठी-डंडों, धारदार हथियारों और तमंचे से हमला बोल दिया गया था।
2015 से शुरू हो गया था दोनों पक्ष के बीच विवाद
इस वारादत में ग्राम दहड़ा सितारगंज निवासी हरजीत सिंह उर्फ काला, प्रभजोत सिंह उर्फ जोता, जगवीर सिंह, तरसेम सिंह, गुरप्रीत (गुरपेज) सिंह, जजपाल सिंह और बलजीत सिंह शामिल थे। इन सभी के द्वारा हमला करने पर चचेरे भाई दलजीत सिंह और हरबंश सिंह की मौके पर ही मौत हो गई थी। दूसरी ओर अंगरेज सिंह का कहना है कि हत्याओं की शुरुआत 2015 में जमीन विवाद को लेकर उसके पिता की हत्या से हुई थी। जमीन का एक हिस्सा NH चौड़ीकरण के लिए सरकार द्वारा अधिग्रहित किया गया था। इसके बाद से जगवीर ने जमीन पर दावा ठोकना शुरू कर दिया। यह मामला एसडीएम कोर्ट में गया, जिसका फैसला हमारे पक्ष में आया। इस बात से वह खुश नहीं थे इसलिए उन्होंने पिता (जयमल सिंह) को मार डाला।
आरोपी को साल 2017 में मिल गई थी जमानत
पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार भी किया था लेकिन साल 2017 में जमानत मिल गई। साथ ही जगवीर के परिवार ने अंगरेज पर केस वापस लेने के लिए दबाव बनाने की कोशिश भी की। केस वापस लेने को मना करने पर उनके साथ मारपीट की गई। अंगरेज जब नगर कीर्तन में शामिल होकर अपने रिश्तेदारों के साथ घर जा रहा था तो जगवीर और उसके परिवार के छह सदस्यों ने उन पर हमला कर दिया। अंगरेज के चचेरे भाई और चाचा की मौत हो गई, जबकि अंगरेज और उसके दो चचेरे भाई गंभीर रूप से घायल हो गए। इस मामले को लेकर शादाब बानो ने सातों हत्यारोपियों को आईपीसी की धारा 302 के तहत आजीवन कारावास व पांच-पांच हजार का अर्थदंड और धारा 307 के अंतर्गत सात साल की सजा सुनाई है।