कहते हैं कि त्रिपुरा का ‘भाग्य’ मां त्रिपुर सुंदरी या त्रिपुरेश्वरी तय करती हैं। वोटिंग का समय हो या काउंटिंग का; नेता पहले इस मंदिर में आकर मत्था टेकते हैं। उदयपुर में स्थित त्रिपुर सुंदरी मंदिर एक आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र माना जाता है।
Tripura Assembly Election 2023
उदयपुर. कहते हैं कि त्रिपुरा का ‘भाग्य’ मां त्रिपुर सुंदरी या त्रिपुरेश्वरी तय करती हैं। वोटिंग का समय हो या काउंटिंग का; नेता पहले इस मंदिर में आकर मत्था टेकते हैं। यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है। त्रिपुरा के उदयपुर में स्थित त्रिपुर सुंदरी मंदिर एक आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र माना जाता है। इस मंदिर का आकार एक कछुए की तरह है। चुनाव प्रचार के दौरान जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी त्रिपुरा आए थे, तब त्रिपुरा सुंदरी मंदिर में पूजा-अर्चना की थी। इसके बाद ही उन्होंने चुनावी सभा ली थी। आइए जानते हैं मंदिर की कहानी…
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माता त्रिपुर सुंदरी मंदिर का निर्माण महाराजा धन्य माणिक्य के शासनकाल में 1501 ई. के दौरान करवाया गया था। यह मंदिर भारत के 51 महापीठों में से माना जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार, इस स्थान पर माता सती के सीधे पैर के अंगुलियों के निशान आज भी मौजूद है। यह मंदिर राज्य के प्रमुख पयर्टन स्थलों में से एक है। यहां रोज हजारों की संख्या में भक्त माता के दर्शनों के लिए पहुंचते हैं।
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दिवाली के दौरान माता त्रिपुरा सुंदरी मंदिर में बड़े स्तर पर मेले लगता है। तब यहां लाखों की संख्या लोग आते हैं। राजमाला के अनुसार, मंदिर का निर्माण करने के बाद भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापित की गई थी। लेकिन एक रात महाराजा धन्य माणिक्य के सपने में महा माया आई और उससे कहा कि वह उनकी मूर्ति को चित्तौंग से इस स्थान पर रख दें। इसके बाद माता त्रिपुरा सुंदरी की स्थापना इस मंदिर में कर दी गई। कहते हैं कि 16 कलाओं से युक्त माता त्रिपुर सुंदरी ने भगवान इंद्र की सहायता की थी। मान्यता है कि यहां दर्शन करने से सभी मुरादें पूरी हो जाती हैं। (चुनाव प्रचार के दौरान अमित शाह)
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इसे माताबारी के नाम से जाना जाता है। इस शक्तिपीठ में शक्ति के स्वरूप में ‘त्रिपुर सुंदरी’ और भैरव के स्वरूप में ‘त्रिपुरेश’ स्थापित हैं। इसे कूर्म पीठ नाम से भी जाना जाता है। वजह यह मंदिर पहाड़ी पर स्थित होने के कारण कछुए के उभार की तरह दिखाई देता है।मंदिर में माता त्रिपुर सुंदरी की मूर्ति की ऊंचाई 5 फीट और छोटीमा के मूर्ति की ऊंचाई 2 फीट है। मंदिर में मां काली के चिह्न को ‘सोरोशी’ के रूप में पूजा जाता है।
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चुनाव प्रचार के दौरान यहां हर पार्टी का नेता आशीर्वाद लेने पहुंचा था। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। यह एक परंपरा का हिस्सा बन गया है। जब अमित शाह त्रिपुरा में चुनाव प्रचार करने आए थे, तब उन्होंने ऐलान किया था कि अगले डेढ़ साल में माता त्रिपुरेश्वरी मंदिर एक विश्वस्तरीय तीर्थ होगा। त्रिपुरा में 27 फरवरी को वोटिंग से पहले बीजेपी के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब सबसे पहले माता त्रिपुरेश्वरी मंदिर आशीर्वाद लेने पहुंचे थे।
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काउंटिंग शुरू होने से पहले त्रिपुरा बीजेपी अध्यक्ष राजीब भट्टाचार्य ने माता त्रिपुरेश्वरी की पूजा की। उन्होंने कहा, “हमने आज पार्टी ऑफिस में पूजा की और माता त्रिपुरेश्वरी का आशीर्वाद लिया।”