उत्तर प्रदेश सरकार ने 2023-24 के बजट के सहारे सबको साधने का काम करते हुए भाजपा के सियासी एजेंडे को और उड़ान देने की कोशिश की है। बजट के सहारे प्रदेश में 2017 में भाजपा सरकार आने के बाद से अब तक राज्य की आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक सेहत सुधारकर लोगों की तरक्की, रोजगार, सुरक्षा तथा समृद्धि के लिए किए गए कामों का हवाला देकर भविष्य के लिए भी उनका भरोसा जीतने का प्रयास किया है। कोशिश यूपी की तरक्की और यहां के लोगों की समृद्धि के लिए 2024 के लोकसभा चुनाव में भी दिल्ली में भाजपा और नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार की जरूरत समझाना ही नजर आ रही है।
राज्य के बजट का लगभग 6.90 लाख करोड़ रुपये का आकार राज्य के सकल घरेलू उत्पाद के सापेक्ष काफी बड़ा है । अर्थशास्त्री प्रो. अंबिका तिवारी बताते हैं कि यही तथ्य राज्य की आर्थिक रफ्तार को गति देने की सरकार की मजबूत कोशिशों का संकेत है । केंद्र सरकार के 1 फरवरी को प्रस्तुत बजट की घोषणाओं को उत्तर प्रदेश में जमीन पर उतारने तथा उनका लाभ राज्य को एवं यहां के लोगों को जल्द से जल्द और ज्यादा से ज्यादा मुहैया कराने की राज्य सरकार की बेकरारी का प्रमाण है
यह बेकरारी लोगों के बीच योगी सरकार की साख मजबूत करने के प्रयासों का भी आधार दिखती है। जिसका राजनीतिक लाभ मिलेगा ही। प्रो. तिवारी के मुताबिक जिस तरह बजट में सरकार ने बुनियादी ढांचे को मजबूती देने पर जोर दिया है, वह प्रदेश की अर्थव्यवस्था को एक ट्रिलियन डॉलर करने के संकल्प पर सरकार के पूरी शिद्दत से काम करने का संदेश देने वाला है।
संतुष्टि से साधे समीकरण
वित्त मंत्री ने बजट के जरिए सभी को संतुष्ट करने की कोशिश की है। सरकार ने इसके लिए बुनियादी ढांचे के विकास पर हुए कामों को आधार बनाया गया है। युवाओं को टेबलेट, स्मार्टफोन देने के लिए बजट प्रावधान, गन्ना किसानों के किए गए भुगतान के साथ ग्रामीण युवाओं के लिए एग्रीटेक स्टार्ट अप के लिए बजट प्रावधान, मोटे अनाजों की खेती, प्राकृतिक खेती, जैव ऊर्जा, हरित ऊर्जा के लिए प्रोत्साहन को बजट प्रावधान, कल्याण कारी योजनाओं के लिए धन आवंटन, निर्मित हो रहे एक्सप्रेस वे के निर्माणों के विकास तथा उनकी पहुंच बढ़ाने के लिए किए जा रहे जैसे कामों एवं गांवों को शहरी सुविधाओं से संपन्न करने के संकल्पों से सबको संतुष्ट करने का प्रयास कर सियासी संतुलन साधने का प्रयास हुआ है ।
सरोकारों पर काम से एजेंडा साधा
संस्कृत विद्यालयों एवं संस्कृत पढ़ने वाले छात्रों एवं धार्मिक स्थलों के विकास के लिए और अधिक धन की व्यवस्था तथा घोषणाओं से विरासत को संरक्षण तथा प्रोत्साहन की नीति पर दृढ़ता से काम करते रहने का संकल्प दिखाकर एजेंडे को साधा गया है । जिस तरह पहले अनुपूरक बजट लाकर सरकारें एजेंडे पर काम करती रही हैं , उसको देखते हुए कहा जा सकता है कि 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले लाए गए अनुपूरक बजट के जरिये भी सियासी एजेंडे को साधा जाएगा ।
जिस अंदाज में प्रयागराज में आयोजित होने वाले महाकुंभ की तैयारियों के लिए बजट, नैमिषारण्य में वेद विज्ञान अध्ययन केंद्र, प्रयागराज में भजन संध्या स्थल के निर्माण जैसी घोषणाओं से सनातन सरोकारों पर सरकार के समर्पण का संदेश दिया, वह हिंदुत्व के एजेंडे को साधते हुए नजर आया । हालांकि, मदरसों के आधुनिकीकरण तथा धार्मिक शिक्षा के अलावा हिंदी, अंग्रेजी, विज्ञान, गणित पढ़ने में रुचि लेने वाले छात्रों के लिए छात्रवृत्ति से लेकर अन्य सुविधाओं में बढ़ोतरी से सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास के संदेश को भी मजबूत करते हुए यह बताने की कोशिश की गई कि योगी सरकार मुसलमानों की दुश्मन नहीं है । बशर्ते वे अपनी आस्था के साथ देश और प्रदेश की तरक्की में कदम से कदम मिलाकर चलने को तैयार हों ।