तुर्किए में आए विनाशकारी भूकंप के बाद भारत की ओर से राहत कार्य के लिए भेजी गई रिलीफ टीम के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में बातचीत की। इस दौरान पीएम मोदी ने ‘ऑपरेशन दोस्त’ मिशन पर गई रिलीफ टीम का हौसला बढ़ाते हुए कहा- हमारी संस्कृति ने हमें वसुधैव कुटम्बकम की सीख दी है। देश कोई भी हो, अगर बात मानवता की है, मानवीय संवेदना की है तो भारत मानव हित को ही सर्वोपरि रखता है। इस दौरान रिलीफ टीम का हिस्सा रहे लोगों ने अपने अनुभव भी शेयर किए।
आने वाली पीढ़ियां याद रखेंगी..
रिलीफ टीम के एक मेंबर ने अपना एक्सपीरियंस शेयर करते हुए बताया- जब मैं राउंड ले रहा था तो एक पेशेंट का रिलेटिव वो देखकर समझ गया कि मैं यहां का कमांडिंग ऑफिसर हूं। उसने मेरे दोनों हाथ पकड़के आंखों से लगाया और चूमा। ये देखकर मैं भी झुक गया तो उसने कहा- आप समझ सकते हैं, इसका मतलब क्या है? मैंने कहा- आप मुझे इज्जत दे रहे हैं। तो उसने कहा- नहीं, आप मेरे पिता समान हैं। ये सुनकर मैं खुशी से गदगद हो गया। इसके बाद वो बोला- मैं इस देश की यंग जनरेशन हूं और आपको आश्वस्त करता हूं कि हमारे आने वाली पीढ़ियां याद रखेंगी कि आपके देश ने हमारे देश के लिए क्या किया था।
मेरे लिए सबसे पहले अल्लाह और उसके बाद आप..
वहीं, रिलीफ टीम की एक महिला मेंबर ने अपना अनुभव सुनाते हुए कहा- एक महिला कहती है, मेरे लिए सबसे पहले अल्लाह है। लेकिन आज की तारीख में हमारे लिए दूसरे नंबर पर आप हो।
डॉग स्क्वॉड ने की भरपूर मदद..
पीएम मोदी ने पूछा- ये जो डॉग स्क्वॉड था, आपके साथ। क्योंकि हमारे यहां इतनी ठंड नहीं है, लेकिन तुर्किए में काफी ठंड है, तो उन सबकी हेल्थ कैसी रही? इस पर रिलीफ टीम के एक सदस्य ने कहा- यहां की तरह ही वहां पर भी हमारे डॉग्स ने बहुत अच्छा काम किया और अब भी इनकी सेहत अच्छी है। हमने सबसे पहले डॉग जूली को रबल्स की तरफ छोड़ा तो जूली ने रबल्स की तरफ देखकर भौंकते हुए लाइव विक्टिम होने का संकेत दिया। उसके बाद हमने रोमियो को उसकी कन्फर्मेशन के लिए छोड़ा तो रोमियो ने भी भौंकते हुए लाइव विक्टिम होने का इंडिकेशन दिया।
जब हम लौट रहे थे, तो उनकी आंखों में आंसू थे..
एक और सदस्य ने अपना अनुभव बताते हुए कहा- हमने दो छोटी बच्चियों को रबल्स से 80 घंटे और 104 घंटे के बाद भूकंप के मलबे से उन्हें जिंदा निकाला। एयरपोर्ट से जब हम निकल रहे थे, तो लोगों ने तालियां तो बहुत सुनीं, लेकिन किसी ने वो आवाजें नहीं सुनी, जब लोग वहां कराहते हुए रो रहे थे, क्योंकि हिंदुस्तानी वहां से अपना काम खत्म कर निकल रहे थे।
महिला पेशेंट ने हमें भगवान का दर्जा दिया..
एक और महिला सदस्य ने अपना एक्सपीरियंस सुनाते हुए कहा- वो 72 घंटे से ज्यादा सम तक मलबे में दबी हुई थी। पेशेंट जब अस्पताल आई तो स्ट्रेचर पर आई थी, लेकिन जब वो गई तो अपने पैरों पर चलकर गई। जाते वक्त उसकी आंखों में आंसू थे और उसने हमें भगवान का दर्जा देते हुए कहा- जितना धन्यवाद मैं भगवान का करती हूं उतना ही आपका कर रही हूं।
सारी दुनिया मदद के लिए भारत की ओर देखती है..
एक और मेंबर ने अपनी बात सुनाते हुए कहा- भारतीय सेना का ग्लोबमास्टर जब भी, जहां भी उतरता है लोगों में एक अलग उत्साह पैदा हो जाता है। उन्हें लगता है कि भारत उनकी मदद करने आ गया। जो छवि भारत की आज दूसरे देशों में है, कि कहीं भी कुछ भी होगा तो भारत जितनी हो सकेगा, जरूर मदद करेगा।
तुर्की की आर्मी ने अपनाई हमारी टेक्नीक…
पीएम मोदी ने पूछा- ये जो ऑपरेशन करने के लिए गई अलग-अलग टीमें थीं, उनकी कुछ जरूरत पड़ गई तो क्या वे भी एक-दूसरे की मदद करते थे? ऐसा किसी का अनुभव है क्या? इस पर एक सदस्य ने कहा- एक ऑपरेशन साइट में हमें तुर्की की टीम के साथ काम करने का मौका मिला और करीब 72 घंटे तक हम उस साइट पर काम करते रहे। हम लोग जब काम कर रहे थे तो अपनी टेक्निक्स को अडॉप्ट करते हुए कम से कम रबल को हटाकर अंदर घुसने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन जो उनकी लोकल आर्मी यूनिट थी वो ज्यादातर भारी मशीनों के इस्तेमाल से उस लोड को हटाना चाह रही थी। आखिर में उन्होंने हमसे कहा कि आप लोग जो कर रहे हैं, हम उसे देख रहे हैं। उसके बाद उन्होंने भी हमारी मेथड को अपनाते हुए एंट्री की।
जुड़वा बच्चों को छोड़ ऑपरेशन में गई..
पीएम मोदी ने रिलीफ टीम के सदस्यों से पूछा- सुना है कि आपमें से कोई अपने जुड़वां बच्चों को छोड़कर चली गई थीं। वहां से वापस लौटने पर बच्चों से मिली कि नहीं? ये हमारे देश के लिए बहुत बड़ी प्रेरणा हैं। पीएम मोदी ने कहा- आपमें से कई तो पहली बार गए होंगे, कइयों के तो पासपोर्ट ही पहली बार बने होंगे। पीएम ने आगे कहा- ऑपरेशन दोस्त मानवता के प्रति भारत के समर्पण और संकट में फंसे देशों की मदद के लिए तत्काल खड़े होने के हमारे कमिटमेंट को भी दर्शाता है।