इस्लामाबाद : एक तरफ तो पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ‘खर्च कम करने की नीति’ की बात करते हैं। वहीं दूसरी तरफ उन्हीं की सरकारी एजेंसी अपने ‘लग्जरी’ खर्च में कटौती करने को तैयार नहीं है। पाकिस्तान धीरे-धीरे कंगाल होता जा रहा है। उसकी अर्थव्यवस्था बेपटरी हो चुकी है। लेकिन फेडरल बोर्ड ऑफ रेवेन्यू ने 1.6 अरब रुपए में 155 लग्जरी गाड़ियां खरीदने की योजना बनाई है। इससे भी ज्यादा चिंता की बात यह है कि एफबीआर इसके लिए विदेशी कर्ज का इस्तेमाल करने की योजना बना रहा है, जिसका उद्देश्य सूचना प्रौद्योगिकी प्रणाली को अपग्रेड करना है।
पाकिस्तानी टैक्सपेयर्स को सुविधा पहुंचाने के नाम पर एफबीआर लग्जरी गाड़ियां खरीद रही है। द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की खबर के अनुसार आधिकारिक दस्तावेज बताते हैं कि वाहनों की अनुमानित लागत उस फंड के 8.6 फीसदी के बराबर है जो एफबीआर ने अपने हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर को अपग्रेड करने के लिए सुरक्षित रखा है। इस पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए कि कुछ साल पहले इतिहास की अपनी सबसे खराब डेटा हैकिंग घटनाओं को झेलने के बाद भी एफबीआर अपने डेटा नेटवर्क को अपग्रेड करने में विफल रहा है।
‘लग्जरी’ कारें खरीदने की योजना
एफबीआर ने वर्ल्ड बैंक के 400 मिलियन डॉलर के प्रोजेक्ट (PRR) के तहत 19.6 अरब रुपए के इन्वेस्टमेंट प्रोजेक्ट फाइनेंसिंग (IPF) के लिए दस्तावेज पेश किए हैं। इन दस्तावेजों को करीब से देखने पर पता चलता है कि एफबीआर 1500 cc से 3000 cc के 155 गाड़ियों को खरीदने की योजना बना रही है। एजेंसी ने इस इंजन क्षमता को ‘लग्जरी’ करार दिया है। एफबीआर ने दस्तावेजों में इन गाड़ियों के इस्तेमाल के बारे में कोई जानकारी नहीं दी है।
एफबीआर ने मांगे 19.6 अरब रुपए
- एफबीआर ने 19.6 अरब रुपए का अनुरोध किया है। इसमें से 1.63 अरब रुपए या 8.6 फीसदी का बड़ा और महत्वपूर्ण हिस्सा इन गाड़ियों को खरीदने के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। खबरों की मानें तो हाल ही में हुई एक बैठक में योजना मंत्रालय ने इस खरीद का विरोध किया था। एफबीआर ने अनुमान लगाया है कि प्रत्येक गाड़ी की कीमत लगभग 47,000 डॉलर या 1.03 करोड़ रुपए होगी। हालांकि खरीद की कुल लागत 1.63 अरब रुपये से भी अधिक हो सकती है।