अलकनंदा और धौली गंगा नदी पर बनाई जाने वाले डेढ़ किमी लंबी और आठ मीटर ऊंची दीवार जोशीमठ के भू कटाव को रोकेगी। सिंचाई विभाग ने इसका डिजाइन फाइनल कर लिया है। अगले हफ्ते तक विभाग इसकी डीपीआर तैयार कर शासन को सौंप देगा।
जोशीमठ के भू धंसाव की प्रमुख कारणों में एक अलकनंदा नदी और धौली गंगा नदी से नगर के तलहटी में लगातार हो रहे कटाव को भी माना जा रहा है। नगर में पानी की निकासी के लिए नालियों की व्यवस्था न होना भी दूसरी प्रमुख वजह मानी जा रही है। इन दोनों ही समस्याओं के समाधान के लिए शासन ने सिंचाई विभाग को कार्य योजना तैयार करने का जिम्मा सौंपा है।
पहले चरण की ड्रेनेज योजना तैयार
सिंचाई विभाग के आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, जोशीमठ शहर के पहले चरण की ड्रेनेज सिस्टम की योजना तैयार हो गई है। इसके तहत छह नाले बनाए जाने हैं। इसका प्रस्ताव शुक्रवार तक शासन को दे दिया जाएगा। दूसरे चरण के पानी की निकासी के लिए एक विस्तृत कार्ययोजना तैयार होनी है। इसके लिए फर्म के चयन का काम शुरू हो गया है।
भू-कटाव रोकने के लिए डीपीआर इस सप्ताह होगी तैयार
जोशीमठ शहर की तलहटी में अलकनंदा और धौलीगंगा नदी से हो रहे भू कटाव को रोकने की योजना पर भी तेजी से काम शुरू हो गया है। योजना का डिजाइन फाइनल है। इस सप्ताह तक इसकी डीपीआर तैयार हो जाएगी। अगले सप्ताह सोमवार तक इसे शासन को इसका प्रस्ताव भेज दिया जाएगा।
कंक्रीट की डेढ़ किमी दीवार बनेगी
भू-कटाव रोकने के लिए नदी के किनारे डेढ़ किमी कंक्रीट की दीवार बनाई जाएगी। एक दीवार अलकनंदा नदी पर 900 मीटर होगी, जबकि दूसरी दीवार धौलीगंगा में 600 मीटर लंबी होगी।
ये दीवार आठ मीटर ऊंची होगी। लेकिन फाइनल डीपीआर बनने तक इसकी लंबाई और ऊंचाई में बदलाव होने की संभावना है।
जोशीमठ नगर के लिए विभाग तीन प्रस्तावों पर तेजी काम कर रहा है। ड्रेनेज सिस्टम के पहले चरण की योजना का प्रस्ताव तैयार है। दूसरे चरण के प्रस्ताव पर काम चल रहा है और तीसरे चरण के तहत भू-कटाव रोकने के लिए इस सप्ताह डीपीआर तैयार कर दी जाएगी। इसे अगले हफ्ते तक शासन को दे देंगे। – जयपाल सिंह, प्रमुख अभियंता, सिंचाई विभाग