पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का कार्टून शेयर करने के चलते जादवपुर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अंबिकेश महापात्रा को जेल जाना पड़ा था। 11 साल तक चली कानूनी लड़ाई के बाद उन्हें बरी किया गया है।
ममता बनर्जी का आपत्तिजनक कार्टून शेयर करने के चलते 12 अप्रैल 2012 को पूर्वी जादवपुर थाने में उनके खिलाफ केस दर्ज किया गया था। इसके बाद पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। अंबिकेश ने मीडिया से कहा कि उनकी लड़ाई हर तरह के अत्याचार के खिलाफ है।
सरकार के खिलाफ आवाज रोकने के लिए की गई साजिश
अंबिकेश ने, “बंगाल सरकार, पुलिस प्रशासन और सत्ताधारी पार्टी के गुंडों ने सरकार के खिलाफ किसी भी तरह की आवाज को रोकने के लिए मेरे खिलाफ साजिश की थी।” दरअसल, अंबिकेश पर पश्चिम बंगाल सरकार ने सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66ए और भारतीय दंड संहिता की धाराओं के तहत आरोप लगाए थे।
क्या है मामला?
मुकुल रॉय को दिनेश त्रिवेदी की जगह केंद्रीय रेल मंत्री बनाया गया था। इसपर सत्यजीत रे की सोनार केला पर आधारित कार्टून वाले ईमेल सीक्वल को महापात्रा ने अपने हाउसिंग सोसाइटी के ईमेल ग्रुप के सदस्यों को भेज दिया था। इसी मामले में उनके खिलाफ केस दर्ज किया गया था और 12 अप्रैल 2012 को उन्हें गिरफ्तार किया गया था।
सुब्रत सेनगुप्ता (जो तब 70 साल के रिटायर इंजीनियर और हाउसिंग सोसाइटी के सचिव थे) को भी महापात्रा के साथ गिरफ्तार किया गया था। सेनगुप्ता बीमार थे। उन्हें किडनी की सर्जरी करानी पड़ी थी। 2019 में 80 साल की उम्र में उनका निधन हो गया था।